गैंगस्टर दिलीप बुवा की सच्ची कहानी | Dilip Buwa Story and Biography Hindi

मुंबई अंडरवर्ल्ड के गैंगस्टर की दुनिया सुनने में बहुत ही अच्छी लगती हे लेकिन यह बाहर से जितनी खतरनाक लगती हे उसे कही ज्यादा अंदर से खतरनाक हे.

जब 1991 में लोखंडवाला शूटआउट हुआ था तब लोगो ने एक ही नाम अच्छी तरह देखा और सुना था वह नाम था माया डोलस उर्फ़ माया भाई का. लेकिन एक और नाम उस शूटआउट में शामिल था जिस पर लोगो का ज्यादा ध्यान नही गया और वह नाम था दिलीप बुवा का. आज हम जानेंगे लोखंडवाला शूटआऊट में मारे जाने वाले गैंगस्टर दिलीप बुवा - Dilip Buwa के बारे मे.


Dilip Buwa Story and Biography Hindi


दिलीप बुवा की सच्ची कहानी                                      dilip buwa real story 

दिलीप बुवा का जन्म 1966 में मुंबई के कांजूरमार्ग में हुआ था. कांजूरमार्ग घाटकोपर के नजदीक ही हे. घाटकोपर शुरू से ही मुंबई अंडरवर्ल्ड केलिए अहम रहा हे. वहा से एक से बढकर एक अपराधी निकले और कई तरह के अपराधो को उन्होंने जन्म दिया. 

यही से दिलीप बुवा कम उम्र में ही अपराधियो के संगत में आगया और धीरे धीरे बुवा उस दौर का सबसे बड़ा शार्प शूटर बन गया. 80 के दशक के आखरी सालो में बुवा से बड़ा कोई शूटर मुंबई में नही था.

उसकी खुभी के देखते हुए रमा नाइक ने उसे अपना अंगरक्षक रख लिया था. रमा नाइक मध्य मुंबई का गैंगस्टर था. जिसका उस दौर में सिखा चलता था. रमा नाइक दाऊद इब्राहीम से अलग रहकर काम कर रहा था इसलिए उसका अलग ही रुतबा बन गया था. दाऊद इब्राहीम केलिए रमा नाइक सिर दर्द बन गया था इसलिए दाऊद के कहने पर छोटा राजन ने रमा को मारने केलिए फील्डिंग लगायी और दिलीप बुवा ने रमा नाइक पर हमला किया इस हमले रमा बच गया. अब दिलीप बुवा की डी कंपनी में जगह बन गयी और बुवा दाऊद गिरोह के अंडर काम करने वाला माया डोलस गिरोह से जुड़ गया.    

दाऊद और छोटा राजन जब दुबई में जाकर बैठ गये थे, तब दाऊद के इशारो पर मुंबई का काम माया और दिलीप अच्छी तरह संभाल रहे थे. माया डोलस के गिरोह में दिलीप बुवा का एक अलग ही रुतबा था क्युकी बुआ एक शांत खोपड़ी का शार्पशूटर था वह किसी को भी मारने से पहले हिचकता नही था.

बुवा इतना ज्यादा खतरनाक था की एक बार भांडुप के एक बस स्तानक पर बुवा ने दो लडकियों इसलिए मार दिया था क्युकी वह लडकिया बुवा की तरफ देखकर हस रही थी. माया और बुवा पूरी मुंबई पर राज कर रहे थे, क्युकी वह डी कंपनी केलिए काम कर रहे थे.

लेकिन समस्या तब पैदा हुयी जब इन लोगो ने खुद अपनी मर्जी से बिल्डरो को धमकाना और उनसे फिरोती लेना शुरू किया. अब दाऊद केलिए माया डोलस उसके रास्ते का काटा बन गया था जिसे उसे किसी भी तरह निकालना था. 16 नवंबर 1991 को लोखंडवाला स्तिथ स्वाति बिल्डिंग में पोलिस द्वारा किये गये एनकाउंटर में दिलीप बुवा और माया डोलस समेत उनके पाच साथी इस एनकाउंटर में मारे गये. कहते हे उनकी स्वाति बिल्डिंग में छुपे होने की टिप दाऊद इब्राहीम ने ही पोलिस वालो को दी थी.

दिलीप बुवा का इनकॉउंटर शूट आऊट लोखंडवाला 

मुंबई पोलीस माया डोलस के पीछे कब से लगी थी लेकिन माया पकड में ही आ नहीं रहा था. तभी मुंबई पोलीस को टीप मिलती हे कि माया मुंबई के लोखंडवाला मे स्तिथ स्वाती बिल्डिंग मे हे. माया डोलस के साथ दिलीप बुवा, अनिल पवार, राजू पुजारी, अशोक नाडकर्णी, अनिल कुंभचंदनी, विजय चकोर, ये भी फ्लॅट मे थे.
           
माया कि एक बिल्डर के साथ मिटिंग थी जिसे माया ने फिरोती केलीये धमाकाया था उसी केलीये ओ सब उस फ्लॅट मे थे. तभी मुंबई पोलीस 'स्वाती अपार्टमेंट' को चारो तरफ से घेर लेती हे. मुंबई पोलीस का नेतृत्व आफताफ अहमद खान करते हे. मुंबई पोलीस माया और उसके साथी ओ को नीचे से वॉर्निंग देती हे कि वो सरेंडर कर ले. लेकिन माया और उसके साथी पोलीस पर फायरिंग करने लगते हे. मुंबई पोलीस भी जवाब मे फायरिंग चालू करती हे चार घंटो तक फायरिंग चलती हे ये सब कॅमेरे मे शूट किया जा रहा था. उस वक्त काफी news चॅनेल पे ये लाईव्ह दिखाया जा रहा था. चार घंटो तक चले शूट आऊट के बाद दिलीप बुवा और माया डोलस समेत उनके साथीयो को शूटआऊट मे मार दिया जाता हे. इनकॉउंटर के बाद एन्ट्री टेररिस्ट स्कोड को माया के पास 7 लाख का कॅश मिला था फिर भी मुंबई पोलीस माया के खिलाफ कोई ढोस सबूत पेश नहीं कर सकी.

शूटआऊट लोखंडवाला फिल्म 

2007 को आयी फिल्म शूटआऊट लोखंडवाला -shoot out at lokhandwala film गैंगस्टर माया डोलस और दिलीप बुवा पर बनी हे जीसमे माया का किरदार विवेक ओब्राय और दिलीप बुवा का किरदार तुषार कपूर ने निभाया था.


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