कैसे बने अरुण गवळी और बाळ ठाकरे दोस्त | arun gawli aur bal thackre dosti se dushmani tak

आप सभी को अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवळी (daddy) और शिवसेना प्रमुख बाळासाहेब ठाकरे के बारे मे पता ही होगा लेकिन हम आज बात करेंगे इन दोनो की दोस्ती और दुश्मनी के बारमे केहते दोस्त अगर दुश्मन बन जाय तो और भी खतरनाक बन जाता हे इस कहाणीसे भी कुछ ऐसा ही संदेश देखणे को मीलता हे

                                      Arun gawli Bal thackrey


      1990 के दशक की शुरुवात मे महाराष्ट्र मे काँग्रेस का शासन था और अगर मुंबई अंडरवर्ल्ड की बात करे तो उस वक्त मुंबई मे सबसे बडा अंडरवर्ल्ड गिरोह था दाऊद इब्राहिम का और दाऊद का सबसे बडा दुश्मन हुआ करता था अरुण गवळी अरुण गवळी byculla की दगडीचाल से अपने गिरोह को चलता था मुंबई के अलग अलग इलाको को मे उसकी दहशत थी और ये गिरोह दाऊद गिरोह को टक्कर देता था अब उस वक्त कुछ ऐसी घटनाये हुयी इंसे लगने लगा की दाऊद गिरोह को काँग्रेस का समर्थन हे 


काँग्रेस का दाऊद गिरोह को समर्थन - congress ka dawood giroh ko samrathan

                 जेजे हत्या कांड j.j.grup of govt hospital मे बहुत बडा शूटआऊट हुआ था dowood Ibrahim के जिजा इब्राहिम पारकर की हत्या गवळी गिरोह ने की थी और दो शुटर जिन्होने इस कांड को अंजाम दिया था उन शुटर को घायल होने पर j.j. हॉस्पिटल मे भरती किया गया दाऊद ने बदला लेनी की सोची और बहोत बडे शूटआऊट को अंजाम दिया जिसमे कइ पोलीस करमी मारे गये और शैैलेश हळदनकर की हत्या हो गयी तो बादमे ये खबर निकली की उन्हे भागनेमे मदत कि थी जयंत सूर्य राव नाम के एक काँग्रेस नेता ने इससे ये खबर चालने लगी कि काँग्रेस का दाऊद गिरोह को समर्थन हे 
                 
             उसी दौरान एक मुंबई महानगरपालिका के अधिकारी हुआ करते थे G.R.खेरनार ये बहुत ही इमानदार अधिकारी माने जाते थे और इनोने एक लिस्ट बनाइ थी जिसमे दाऊद इब्राहिम ने जहाजहा पर गैर कानूनी constraction किया हे उसे वो तोडगे इससे पहले किसी कि हिम्मत तक नहीं होती दाऊद कि प्रॉपर्टी को हात लगाने केलीये इनोने दाऊद कि सबसेे पसींंदा इमारत थी जो दाऊद के घरके ठीक सामने थी उसे तुुुुडा दिया और कही सारी दाऊद कि बिल्डिंगोको नुकसान पहुचाया ऐसेमे G.R.खेरनार पर कारवाई हुयी और काँग्रेस के नेतावोने उनकी निंदा कि जिससे काँग्रेस कि ये इमेज बनगयी कि उनकी दाऊद के साथ मिली भगत हे 




कैसे बने अरुण गवळी और बाळ ठाकरे दोस्त - kaise bane arun gawli aur bal thackre dost

      1995 के विधानसभा चुनाव आये तो चुनाव सभा मे बाळासाहेब ठाकरे ने केह दिया कि काँग्रेस के पास दाऊद हे तो हमारे पास अरुण गवळी हे वो खुलेआम ये स्विकार कर रहे थे कि एक अंडरवर्ल्ड डॉन गँगस्टर को वो समर्थन दे रहे थे ऐसा शायद इसलिये किया जा रहा था मुंबई जो बॉम्ब ब्लास्ट हुआ उसके बाद दाऊद को मुस्लिम आतंगवादी के तौर पर देखा जा रहा था तो अरुण गवळी को एक हिंदू डॉन दिखाने कि कोशिश कि गयी अब ये दोनो गँगस्टर बट गये थे काँग्रेस के साथ दाऊद और शिवसेना के साथ अरुण गवळी
    अरुण गवळी के लिये बहुत बडी बात थी कि महाराष्ट्र की बडी पार्टी उसकी तारीफ कर रही हे उसे अपने साथ बता रही थी इन तमाम कारनोसे 1995 को शिवसेना bjp गठबधंंन की सरकार आयी मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने और गोपीनाथ मुंडे उपमुख्यमंत्री बने साथ ही गृह विभाग भी मुंडे के पास आया जिसमे अंडर पोलीस मेकमा आता हे  सत्ता आने के बात गवळी को लगने लगा अब तो उसी का राज हे और उसका कोइ कुछ नहीं बिगाड नहीं सकता गवळी ने बेख्वाब होकर मुंबई मे गँगवार शुरु कर दिया जितने भी गवळी के दुश्मन थे उन पर गोलीया चलनी शुरु हुई येसेेेेमे मुंबई मे हर दुसरे तिसरे दिन शूटआऊट होता था मुंबई की स्तिथी बहुत खराब हो गयी ऐसेेे मे सरकार पर भी दबाव अागया की इस गँगवार को रोके


अरुण गवळी और बाळ ठाकरे की दुश्मनी की शुरुवात - Arun gawli aur bal thakre 


  मुंबई गँगवार को रोकने केलीय सरकार ने कडे कदम उठाये और गोपीनाथ मुंडे ने एन्काऊंटर पॉलिसि शुरु कर दि एन्काऊंटर मे गवळी गिरोह के लोग भी मार दिये गये गवळी को ये बात अखड गयी मेरे नाम से शिवसेना bjp की सरकार आयी अब मेरे ही आदमी मारे जा रहे इसी के साथ और एक घटना हो गयी अरुण गवळी जेल मे रेेेहकर अपना गिरोह चलाता था वो औरंगाबाद के जेल मे था उसने वहा अपना बडा नेटवर्क बनाया था सरकार ने गवळी गिरोह कुछ हरकत ना कर पाये इसलिये गवळी को औरंगाबाद से अमरावती के जेल भेजा गया ताकी वो अपना नेटवर्क ना बना पाये इस बात से गवळी ने तय की मे बाळ ठाकरे से बदला लुगा जिनोने मेरे नाम का
                       
इसतेेेेमाल किया उसने सबसे पहले निशाना बनाया जयंत जाधव को  जयंत जाधव शिवसेना प्रमुख बाळ ठाकरे के खास आदमी थे और उस वक्त शिवसेना जो भी बडे फैसले लेती थी उसमे जयंत जाधव की राय ली जाती थी गवळी ने अपने शुटरोको भेजके के प्रभा देवी इलाके मे जयंत जाधव की हत्या कर दि इसके के साथ कई अन्य नेताओ को भी धमाकाया


 अरुण गवळी ने बनाइ अपनी पार्टी - arun gawli ne banai apni party

        गवळी ने सियासी तौर पर भी बदला लेना था इसलिये उसने अपनी पार्टी बनाइ अखिल भारतीय सेना और इस पार्टी का खडा करणे केलीये उसने शिवसेना के जितेंद्र दाभोलकर को अपने साथ मिला लिया और पार्टी को बढाने केलीये साम,दाम,दंड,भेद का सहारा लिया जितने मे भी शिवसेना के शाखा प्रमुख थे उणे डरा धमका कर पैसे का लालच देकर अखिल भारतीय सेना का शाखा प्रमुख बनाया साल भरमे अखिल भारतीय सेना से साडे तीन लाख लोग जुड गये उसने शिवसेना का काभी नुकसान कर दिया शिवसेना ने तय किया गवळी को रोकना पडेगा एक तरफ पोलीस एन्काऊंटर कर रहे थे दुसरी तरफ अखिल भारतीय सेना के पदाधीकारीयो की भी हत्या हो रही थी ये हत्याये पोलीस तो नहीं कर रही थी लेकिन ये हत्याये हो रही थी उसके साथ ही गवळी को सबसे बडा झडका तब लगा तब जितेंद्र दाभोलकर की हत्या हो गयी इससे ये संदेश जाणे लगा की शिवसेना से टकरानेे का अंजाम गवळी को मीला हे
      

        बादमे गवळी ने अपने पार्टी को आगे बाढाना चालू रखा और वो 2004 मे लोकसभा चुनाव मे खडा हो गया लेकिन वो ये चुनाव हार गया लेकिन उसके बाद जो विधानसभा के चुनाव हुआ उसमे वो चुनाव जीत गया बादमे शिवसेना के नगरसेवक कमलाकर जामधांडेकर के हत्या के आरोप मे अरुण गवळी को कोर्ट ने सजा सुनाइ और उसे जेल जाना पडा

     





Post a Comment

0 Comments