मुंबई का रावण अमर नाईक | mumbai underworld don amar naik ki kahani


अमर नाईक मुंबई अंडरवर्ल्ड का रावण कैसे बना

Amar naik gangster
Amar Naik Gangster

एक आम आदमी सब्जी का ठेला लगाता था पर वो मुंबई के गुंडा गर्दी से अच्युता नहीं था। एक दिन गुंडे उसे बुरी तरीकेसे पिट रहे थे। उसके छोटे भाई ने उसे बचाने केलीये चाकू लिया और वो उस पाच गुंडो से अकेला भीड गया।उसने उने पिटकर  भगा दिया उसी दिन सब्जी के ठेले पर काम करणे वाले साधारन इन्सान से खतरनाक गुणेगार amar naik का जन्म हुआ। जिसे मुंबई अंडरवर्ल्ड मे रावण के नाम से जाना गया।

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अमर नाईक की शुरुवात - amar naik ki shuruvat

     गरीब दुकानदार के साथ हो रही गुंडा गर्दी को रोकने केलीये amar naik ने अपनी टोली खडी कर दि। उसवक्त अमर के छोटेे भाई अश्विन का अपहरन हो गया। लेकिन अश्विन ने खुद को छुडा लिया गुस्से से आग बबुला हुये अमर ने अपने लडको के साथ गुंडो के मटका हड्डो पर धावा मांंड दिया। धीरे धीरे अमर ने पुरे दादर मे अपनी पकड बना ली। अब उस्का सीधा मुकाबला अरुण गवळी गिरोह से था। लेकिन उसके गिरोह के पास साधनोकी की कमी थी। तो अमर ने राम भट नाम के स्थानिय गँगस्टर से हात मिला लिया। 1985 आते आते अमर नाईक गिरोह मुंबई का बडा गिरोह बन चुका था। अब आलजी, पालजी जैसे कुख्यात हत्यारेे उसके लिये काम करते थे। अमर की पोहच इतनी फइल गयी थी की उसे श्रीलंका देश से हत्यार मिलते थे। हत्यार के मामले मे अमर इतना जागृत था की वो विश्व की सबसे अच्छी ब्लॉक पिस्तूल का वो इस्तमाल करता था। ऎसी वो दो पिस्तूल अपने पास हमेशा रखता था। अमर के पास पाच पासपोर्ट थे जबभी वो घुमणे जाता तो वो तीन तिकिटे अलग अलग नाम से निकाल था। अमर ने पुणे, परळ, दादर मे बहुत जमीनेे हुशारिसे खरीद ली थी। पोलीस को आज तक अमर की जमीनो के बारे मे जाणकारी नहीं हे। पोलीस का केहना था अरुण गवळी को अरेस्ट कर ना आसन हे , दाऊद गिरोह के लोगो को पकडा जा सकता हे पर अमर को पकडणा ना मुमकिन था। क्यूकी वो भेस बदलने माहीर था वो हमेशा अकेला रहता था। वो किसीको बिना बतायें ही कही आता जाता था।

                     

अमर नाईक कैसे मारा गया - Amar naik kaise mara gaya 


      मुंबई मे एक गिरणी के बजेसे अरुण गवळी और अमर नाईक गिरोह मे अनबन थी। एक दिन गवळी गिरोह ने अमर के छोटेे भाई अश्विन पर हमला किया अश्विन तो इस हमलेे मे बच गया। लेकिन अमर ने पलट वार किया और उस गिरणी के मालीक को मार दिया। 1995 आते आते गवळी और अमर नाईक गिरोह के लोग राजनेती मे आगये। लेकिन एक दिन मदनपुरा मे आधी रात को कुछ लोग छिपकर बेठे थे। तभी जैैैसे ही अमर अपनी गाडी से उतरा तो दूर खडे आदमी ने आवाज लगायी। काय रे अमर तू इथे। जैसे ही अमर ने वहा देखा तो छिपकर बेठे लोगोने उस पर गोलीया चलायी। मदनपुरा मे आधी रात को छिपकर बेठे लोग और कोइ नही एन्काऊंटर स्पेशालिस्ट सालस्कर और उनके साथी थे। इस तरह एन्काऊंटर स्पेशालिस्ट सालस्कर ने रावण का वध कर दिया।

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